Hindi Alumni (2019-2021)
मैं पूजा चौधरी, रामनिरंजन झुनझुनवाला महाविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इस महाविद्यालय से मेरा अनुभव केवल दो साल ही था। किंतु, इस दो साल में कॉलेज ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। कई ऐसे विषयों तथा क्षेत्र से अवगत हुई जो मुझे नहीं पता थे। वैसे तो बाकी के विभागों से मेरा जुड़ाव नहीं था, मैं महाविद्यालय के हिंदी विभाग से जुड़ी थी इस महाविद्यालय के हिंदी विभाग ने मुझे मेरे जीवन में और भी सक्रिय होने की प्रेरणा दी है तथा महाविद्यालय की प्रधानाचार्या तो स्वयं हम सभी के लिए आदर्श रही हैं, जो हमेशा हमें महाविद्यालय की ओर से जितनी मदत हो सके करती हैं। इन दो सालों में मैंने कई बार कॉलेज के पुस्तकालय का उपयोग किया है, जहाँ जाकर मुझे बहुत सन्तुष्टि हुई है क्योंकि मुझे जिस पुस्तक की समय पर आवश्यकता थी वह आसानी से उपलब्ध हुई। हिंदी विषय को लेकर जीवन मे किस तरह आगे बढ़ा जा सकता है, इस विषय पर तो हिंदी विभाग के प्रोफेसरों ने हमारी बहुत मदत की है साथ ही, हिंदी को अध्ययन तथा अध्यापन हेतु महाविद्यालय के प्राध्यापकों द्वारा बहुत ही अच्छी प्रेरणा मिली है। इन दो वर्षों में मुझे कॉलेज से बहुत अनुभव और सीख मिली है, जिसे लेकर जीवन में एक सफल विद्यार्थी और मनुष्य बना जा सकता है। ऐसा मेरा अनुभव है।सीमित शब्द होने की वजह से मैं अपनी लेखनी को यहीं पूर्ण विराम देती हूं। मेरी इच्छा है कि एक सक्षम व्यक्ति बनकर मैं अपने महाविद्यालय के अच्छे कार्यों में अपना योगदान दे सकूँ।
आज मैं मदर तेरेसा विद्यालय में हिंदी की अध्यापिका के रूप में कार्यरत हूं।और अपने गुरूजनों की प्रेरणा द्वारा मैं आज यह कार्य करने में सक्षम बन पाई हूँ।
सधन्यवाद!
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Hindi Alumni (2019-2021)
मैं पूजा चौधरी, रामनिरंजन झुनझुनवाला महाविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इस महाविद्यालय से मेरा अनुभव केवल दो साल ही था। किंतु, इस दो साल में कॉलेज ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। कई ऐसे विषयों तथा क्षेत्र से अवगत हुई जो मुझे नहीं पता थे। वैसे तो बाकी के विभागों से मेरा जुड़ाव नहीं था, मैं महाविद्यालय के हिंदी विभाग से जुड़ी थी इस महाविद्यालय के हिंदी विभाग ने मुझे मेरे जीवन में और भी सक्रिय होने की प्रेरणा दी है तथा महाविद्यालय की प्रधानाचार्या तो स्वयं हम सभी के लिए आदर्श रही हैं, जो हमेशा हमें महाविद्यालय की ओर से जितनी मदत हो सके करती हैं। इन दो सालों में मैंने कई बार कॉलेज के पुस्तकालय का उपयोग किया है, जहाँ जाकर मुझे बहुत सन्तुष्टि हुई है क्योंकि मुझे जिस पुस्तक की समय पर आवश्यकता थी वह आसानी से उपलब्ध हुई। हिंदी विषय को लेकर जीवन मे किस तरह आगे बढ़ा जा सकता है, इस विषय पर तो हिंदी विभाग के प्रोफेसरों ने हमारी बहुत मदत की है साथ ही, हिंदी को अध्ययन तथा अध्यापन हेतु महाविद्यालय के प्राध्यापकों द्वारा बहुत ही अच्छी प्रेरणा मिली है। इन दो वर्षों में मुझे कॉलेज से बहुत अनुभव और सीख मिली है, जिसे लेकर जीवन में एक सफल विद्यार्थी और मनुष्य बना जा सकता है। ऐसा मेरा अनुभव है।सीमित शब्द होने की वजह से मैं अपनी लेखनी को यहीं पूर्ण विराम देती हूं। मेरी इच्छा है कि एक सक्षम व्यक्ति बनकर मैं अपने महाविद्यालय के अच्छे कार्यों में अपना योगदान दे सकूँ।
आज मैं मदर तेरेसा विद्यालय में हिंदी की अध्यापिका के रूप में कार्यरत हूं।और अपने गुरूजनों की प्रेरणा द्वारा मैं आज यह कार्य करने में सक्षम बन पाई हूँ।
सधन्यवाद!
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